किसानों को अब अपने ही अनुमंडल में मिलेगी मिट्टी जांच की सुविधा
पटना। बिहार सरकार कृषि क्षेत्र को आधुनिक और वैज्ञानिक आधार पर मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम उठा रही है। किसानों को अब अपने अनुमंडल स्तर पर ही मिट्टी की जांच की सुविधा उपलब्ध होगी। इसके लिए वित्तीय वर्ष 2025-26 में राज्य के 25 जिलों में कुल 32 नई मिट्टी जांच प्रयोगशालाएं स्थापित की जाएंगी।
कहां-कहां बनेंगी प्रयोगशालाएं
गोपालगंज, भभुआ, गया, नवादा, भोजपुर, अररिया, पूर्णिया, कटिहार, बेगूसराय, खगड़िया, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, समस्तीपुर, वैशाली, पश्चिम चंपारण, भागलपुर, मुंगेर और मधेपुरा में एक-एक प्रयोगशाला स्थापित होगी। वहीं पटना, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, रोहतास, सुपौल, मधुबनी और सारण में दो-दो अनुमंडल स्तरीय मिट्टी जांच प्रयोगशालाएं बनाई जाएंगी।
वर्तमान स्थिति
राज्य में पहले से 14 अनुमंडल स्तरीय प्रयोगशालाएं और 38 जिला स्तरीय प्रयोगशालाएं कार्यरत हैं। इसके अलावा प्रमंडल स्तर पर 9 चलंत (मोबाइल) मिट्टी जांच प्रयोगशालाएं और ग्राम स्तर पर 72 प्रयोगशालाएं किसानों को सुविधा दे रही हैं। कृषि विश्वविद्यालयों और कृषि विज्ञान केंद्रों में भी नमूनों की जांच की व्यवस्था है।
कैसे होती है मिट्टी की जांच
सभी जिला स्तरीय प्रयोगशालाओं में 12 पैरामीटर — pH, EC, OC, N, P, K, Zn, Cu, Mn, Fe, S, B पर मिट्टी का परीक्षण किया जाता है। नमूना संग्रहण की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए अब पूरी प्रक्रिया सॉफ्टवेयर आधारित है। कृषि विभाग के कर्मी खेत से मिट्टी का नमूना लेते समय किसान का विवरण, खेत की लोकेशन और फोटो ऐप पर अपलोड करते हैं।
खेत की सेहत का सटीक पता
मिट्टी जांच से किसानों को यह जानकारी मिलती है कि उनके खेत की मिट्टी में कौन से पोषक तत्व हैं और किस फसल की खेती वहां बेहतर होगी। पिछले वित्तीय वर्ष 2024-25 में मृदा स्वास्थ्य एवं उर्वरता योजना के तहत राज्यभर से लगभग 5 लाख मिट्टी नमूनों की जांच की गई थी।


