
कृषि में AI, ‘अपशिष्ट से संपदा’ और सतत समाधान पर दिया गया विशेष ज़ोर
पटना, 03 जुलाई 2025:भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना में अनुसंधान परामर्शदात्री समिति (RAC) की 21वीं बैठक का तीन दिवसीय आयोजन हुआ। इस महत्वपूर्ण बैठक का शुभारंभ पूर्व उप महानिदेशक (कृषि प्रसार) डॉ. के. डी. कोकाटे की अध्यक्षता में किया गया। बैठक में कृषि क्षेत्र से जुड़े कई प्रमुख वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया।
बैठक में समिति के अन्य सदस्यों में डॉ. मसूद अली (पूर्व निदेशक, आईआईपीआर कानपुर), डॉ. एस.डी. सिंह (पूर्व सहायक महानिदेशक, मत्स्य विज्ञान), डॉ. के. एन. तिवारी (प्रोफेसर, आईआईटी खड़गपुर), डॉ. एस. कुमार (पूर्व प्रमुख, आईसीएआर-रांची) तथा ऑनलाइन माध्यम से जुड़े डॉ. ए. वेलुमुरुगन (सहायक महानिदेशक, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन) शामिल हुए। इसके अलावा, संस्थान के विभिन्न विभागों के प्रमुख, अनुसंधान केंद्र रांची, कृषि विज्ञान केंद्र बक्सर एवं रामगढ़ से विशेषज्ञों की भागीदारी रही।
वर्तमान चुनौतियों पर नवोन्मेषी समाधान की आवश्यकता: डॉ. कोकाटे
डॉ. कोकाटे ने कृषि क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन, संसाधनों की कमी, अस्थिर बाजार और खंडित जोत जैसी समस्याओं की ओर इशारा करते हुए कहा कि केवल वही अनुसंधान सार्थक है जो किसानों की आजीविका को बेहतर बनाए। उन्होंने कृषि में “अपशिष्ट से संपदा” की अवधारणा को रेखांकित किया और AI एवं मशीन लर्निंग जैसी तकनीकों के समावेश पर विशेष बल दिया।
कृषि के विविध क्षेत्रों पर विशेषज्ञों के सुझाव
डॉ. वेलुमुरुगन ने मूल्य श्रृंखला विकास, धान-परती क्षेत्रों में मृदा एवं नमी विश्लेषण, और किसान-उन्मुख आर्थिक मॉडल पर फोकस बढ़ाने की बात कही।
डॉ. मसूद अली ने धान-परती क्षेत्रों में हरियाली और समेकित कृषि प्रणाली की संभावनाओं पर चर्चा की।
डॉ. एस. कुमार ने रजत जयंती अवसर पर प्रणाली उत्पादकता अनुकूलन सूचकांक को अपनाने का सुझाव दिया।
डॉ. तिवारी ने झारखंड में कोयला खनन क्षेत्रों की मृदा-जल गुणवत्ता और आर्सेनिक प्रदूषण पर शोध की आवश्यकता जताई।
डॉ. सिंह ने फसल प्रसंस्करण और कटाई उपरांत नुकसान को कम करने पर अनुसंधान तेज करने पर बल दिया।
प्रस्तुतियाँ, भ्रमण और MoU आदान-प्रदान
संस्थान के निदेशक डॉ. अनुप दास ने 25 वर्षों की शोध यात्रा की उपलब्धियों को साझा करते हुए भविष्य में स्मार्ट, टिकाऊ और लाभकारी कृषि प्रणाली विकसित करने की प्रतिबद्धता दोहराई।
बैठक के दौरान प्रतिभागियों ने अनुसंधान प्रक्षेत्रों और प्रयोगशालाओं का दौरा किया। संस्थान की ओर से एक प्रदर्शनी लगाई गई तथा दो नई प्रसार पुस्तिकाओं का विमोचन किया गया। इसके अतिरिक्त मशरूम विषयक एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (MoU) का आदान-प्रदान भी सम्पन्न हुआ।
अंत में, डॉ. कमल शर्मा (सदस्य सचिव) ने सभी का आभार प्रकट करते हुए कार्यक्रम का समापन किया।