पटना, 1 सितंबर 2025।सहकारिता विभाग ने राज्य के विभिन्न जिलों के 146 नए पैक्सों को e-PACS घोषित किया, जिसके बाद बिहार में e-PACS की कुल संख्या बढ़कर 1992 हो गई है। पैक्स कम्प्यूटरीकरण योजना के तहत प्रथम चरण में 4477 पैक्सों का चयन किया गया है। अगले चरण में सभी पंचायत स्तर के पैक्सों को डिजिटल प्लेटफॉर्म से जोड़ा जाएगा।
सहकारिता मंत्री का बयान
सहकारिता विभाग के माननीय मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने इस उपलब्धि पर कहा:
“बिहार सरकार पैक्सों को पारदर्शी, जवाबदेह और आधुनिक बनाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। पैक्स कम्प्यूटरीकरण से किसानों को त्वरित सेवा मिलेगी और सहकारी संस्थाओं की वित्तीय स्थिति मजबूत होगी। शीघ्र ही सभी पैक्स e-PACS में परिवर्तित कर दिए जाएंगे।”
e-PACS से क्या होंगे फायदे?
- सभी लेन-देन, खाते, पंजियों और वित्तीय विवरण अब डिजिटल रूप से दर्ज होंगे।
- पैक्स प्रबंधक के साथ ही कार्यपालक सहायक एवं सहकारिता प्रसार पदाधिकारी को प्रतिदिन ERP सॉफ्टवेयर पर Day Open और Day End कराने की जिम्मेदारी दी गई है।
- वर्तमान में 1992 e-PACS में से 1065 में Dynamic Day End लागू है, शेष में भी इसे लागू करने का निर्देश दिया गया है।
- वार्षिक एवं वैधानिक अंकेक्षण अब Centrally Sponsored Project for Computerization of PACS (CSPCP) के तहत डिजिटल रूप से होगा।
पैक्स कम्प्यूटरीकरण के लाभ
- रिकॉर्ड संधारण आसान, पारदर्शी और सुरक्षित हुआ।
- अनियमितता व धोखाधड़ी पर रोक लगी।
- किसानों के ऋण और खातों का डिजिटल रिकॉर्ड उपलब्ध।
- सरकारी विभागों और अन्य सहकारी संस्थाओं से सीधा जुड़ाव।
- वित्तीय समावेशन को बढ़ावा, किसानों को डायरेक्ट फंड ट्रांसफर की सुविधा।
- पैक्सों के प्रदर्शन का आकलन आसान।
- ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन को गति।
पैक्स कम्प्यूटरीकरण योजना के तहत बिहार में न केवल सहकारी संस्थाओं की कार्यप्रणाली पारदर्शी हुई है, बल्कि ग्रामीण किसानों और मजदूरों को भी प्रत्यक्ष लाभ मिल रहा है। राज्य में ‘सहकार से समृद्धि’ का लक्ष्य इस योजना के माध्यम से साकार हो रहा है।


