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10 रुपये के 2 बैंक नोट, बिकेंगे 2-2 लाख में, 100 वाला 5 लाख रुपये में, क्या खास है इनमें

ByKumar Aditya

मई 24, 2024
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10-10 रुपये के दो नोट और दोनों की कीमत कम से कम 4 लाख रुपये! ये कैसे हो गया. दरअसल, लंदन में एसएस शिराला के मलबे से 1918 के ये दो करेंसी नोट मिले थे. अब ये दोनों नोट अगले हफ्ते बुधवार को होने वाले नूनान्ज़ मेफेयर में नीलाम होंगे. वर्ल्ड बैंकनोट्स की सेल के तहत इन दो नोटों को भी नीलामी में पेश किया जाएगा. दोनों नोटों की खासियत ये है कि इन पर साइन नहीं हुए हैं और इनकी क्वालिटी बड़ी जबरदस्त है. इनका कागज भी दुर्लभ बताया जा रहा है.

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 10-10 रुपये के इन दोनों नोटों की नीलामी 29 मई 2024 को होनी है. हालांकि ये बिना हस्ताक्षर के नोट हैं, लेकिन सुपर क्वालिटी ऑरिजिनल पेपर पर छपे हैं. इनका सीरियल नंबर भी अभी तक साफ-साफ देखा जा सकता है. ये नोट जर्मन यू-बोट एसएस शिराला (SS Shirala) में लंदन से बॉम्बे भेजे जा रहे थे.

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इंग्लैंड में छपे ये नोट उस समय पानी के रास्ते भारत भेजे जा रहे थे. मगर रास्ते में हुए एक हादसे की वजह से एसएस शिराला पानी में ही डूब गया. जहाज पर लदे अधिकतर भारतीय करेंसी नोटों को तो नष्ट कर दिए गए, मगर दो नोट अभी तक महफूज थे.

रिपोर्ट में छपी जानकारी के मुताबिक, इन दो नोटों की नीलामी का लॉट 474 और 475 तय किया गया है. दोनों लॉटों की नीलामी 29 मई को होगी. अनुमान है कि नीलामी 2,000-2,600 ब्रिटिश पाउंड (2.1 से 2.7 लाख रुपये) में हो सकती है. ऑक्शन हाउस नूनान्ज़ में मुद्राशास्त्र (Numismatics) की प्रमुख थॉमसिना स्मिथ ने इस बारे में विस्तार से जानकारी दी.

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5 लाख में बिकेगा 100 का नोट

इसी नीलामी में भारत सरकार के कुछ और रेयर नोटों की भी नीलामी होने वाली है. ब्रिटिश साम्राज्य के समय के छपे 100 रुपये के एक नोट को भी नीलामी के लिए रखा जाएगा. कहा जा रहा है कि यह 4,400 से 5,000 ब्रिटिश पाउंड (4,65,103 – 5,28,510 रुपये) के बीच में नीलाम हो सकते हैं. इन पर हस्ताक्षर हैं और कलकत्ता की मुहर लगी हुई है. ये 1917 – 1930 के बीच के समय के हैं. इस नोट के पीछे की तरफ हिंदी और बंगाली सहित विभिन्न भारतीय भाषाओं में 100 रुपये लिखा हुआ है.

कार्गो फेरी था एसएस शिराला

एसएस शिराला पानी का एक जहाज था, जिसे उस समय का आधुनिक पैसेंजर और कार्गो फेरी माना जाता था. इसका उपयोग इंग्लैंड से भारत के शिडुल्ड रूट्स पर यात्रियों और माल को लाने-ले जाने के लिए किया जाता था. 29 जून 1918 को इसने अपनी अंतिम यात्रा शुरू की. एसएस शिराला फेरी लंदन से बॉम्बे के लिए निकली थी. उसमें यात्रियों के साथ-साथ कुछ माल भी लदा हुआ था. माल में युद्ध सामग्री, हाथी के दांत, शराब, मुरब्बा, लॉरी पार्ट्स, मॉडल टी कारों के लिए स्पेयर, हीरे और बैंक ऑफ इंग्लैंड से रुपये के रूप में मुद्रित होने वाले कागज की शीटें शामिल थीं.

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