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अटल जी के स्पीच हमेशा ही शानदार और मजेदार होते थे। वो कविता लिखते थे। उनके स्पीच में कविता अपनी छाप छोड़ती नजर आती थी।

तारीख: 16 अगस्त, साल: 2018 को उनका निधन हो गया यानी आज से लगभग साढ़े चार साल पहले। लोग कहते हैं उनके निधन के बाद इंडियन पॉलिटिक्स में ऐसा नेता नहीं है जो उनके जैसा उनके स्टाइल में स्पीच दे सके। बात इमरजेंसी के दिनों कि है। इंदिरा गांधी ने चुनाव की घोषणा कर दी। उस समय अटल बिहारी वाजपेयी जेल में बंद थे।

चुनाव की घोषणा के बाद सभी नेता बाहर आ गए। चुनाव प्रचार के लिए काफी कम टाइम मिला था। ठंड मौसम था। दिल्ली में हजारों लोगों की जनसभा चल रही थी। जनता पार्टी के जो भी बड़े नेता थे, बारी-बारी आकर सभी जनता के सामने अपनी बातों को कह रहे थे।

उनके स्पीच से लोगों में जोश और जुनून भरने वाली बात गायब थी। जनता बोर होकर सिर्फ स्पीच सुनते हुए सिर्फ टाइम काट रही थी। लोग बोरियत के मारे बीच-बीच में 5-10 मिनट की नींद भी ले लेते। तभी पास बैठे नेताजी ने तपाक से जवाब दिया कि अभी अटल बिहारी वाजपेयी का भाषण होना है बाकी है। लोग इसीलिए रुके हुए हैं।

इंतजार की घड़ियां खत्म हुई अटलजी आए और यह कहते हुए अपना भाषण शुरू किया कि बाद मुद्दत के मिले हैं दिवाने, कहने सुनने को बहुत हैं अफसाने। खुली हवा में जरा सांस तो ले लें, कब तक रहेगी आजादी कौन जाने

भाषण खत्म होने के बाद में अटलजी ने बताया कि दूसरी वाली लाइन उन्होंने वहीं पर बनाया था। जनता मंत्रमुग्ध हो गयी थी। और जोर-जोर से नारे लगा रही थी कि जेल का ताले टूट गए, अटल बाबू छूट गए।

इंदिरा गांधी ने एक बार अटल जी की आलोचना की थी कि जब वो बात करते हैं तो अपने हाथों को बहुत हिलाते हैं। अटल जी ने अपने हाजिरजवाबी अंदाज में जवाब देते हुए कहा कि वो तो ठीक है। लेकिन, आपने किसी को पैर हिलाकर बात करते देखा है क्या।

साल 1994 में UN के एक अधिवेशन में पाकिस्तान ने कश्मीर के मुद्दे पर भारत को घेर लिया था। प्रधानमंत्री नरसिंहा राव ने तब एक कुशल वक्ता और नेता प्रतिपक्ष अटल बिहारी वाजपेयी को भारत का पक्ष रखने के लिए भेजा था। अधिवेशन में पाक के नेता ने कहा कि कश्मीर के बगैर पाकिस्तान अधूरा है। तो जवाब में वाजपेयी ने कहा कि वो तो ठीक है। पर पाकिस्तान के बगैर हिंदुस्तान अधूरा है।

वाजपेयी की पाकिस्तान के मुद्दे पर बड़ी आलोचना होती है कि ताली दोनों हाथ से बजती है। अटल जी अकेले ही जोशीले हुए जा रहे हैं। तो वाजपेयी ने जवाब में कहा कि एक हाथ से चुटकी तो बज ही सकती है। आइए अटल बिहारी वाजपेयी के कुछ शानदार भाषणों को देखते हैं…

  1. मैं मृत्यु से नहीं डरता, बदनामी से डरता हूं

2.यूएन में साल 1977 में दिया था हिंदी में पहला भाषण

  1. अमेरिकी कांग्रेस में 2000 में दिया गया शानदार भाषण

  2. ब्लैक मनी पर संसद में जवाब मांगते अटल

  3. चारा घोटाले पर नाराज होकर बोले- डिस्टर्ब न करो, फिर बोले

  4. यूनिफार्म सिविल कोड पर दिया गया अटल जी का चर्चित भाषण

  5. पोखरण न्यूक्लियर टेस्ट पर अटल ने दिया था शानदार भाषण

  6. बाबरी मस्जिद पर अटल का कॉन्ट्रोवर्शियल स्पीच

  7. लाहौर में दिया गया कभी न भूलने वाला भाषण

  8. जब एक वोट से सरकार गिरने पर दिया था प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा

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