चाइना का रोबोट स्पर्श और बिजली संकेतों को करता है महसूस, जिंदा दिमाग भी

चीन ने एक ऐसा रोबोट बनाने में कामयाबी हासिल की है, जिसमें जिंदा दिमाग है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इसके दिमाग में चिप के साथ-साथ जीवित कोशिकाएं भी हैं। यानी ये रोबोट, आधा इंसान-आधी मशीन है। ये खुद फैसले लेने और सीखने में सक्षम है। इसकी तकनीक कुछ-कुछ एलन मस्क की न्यूरालिंक चिप जैसी है।

तियानजिन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने यह उपलब्धि हासिल की है। इनका दावा है कि यह अंगों को अपने आप हिलाकर इंसानी दिमाग की तरह प्रतिक्रिया देने में सक्षम है। साथ ही दिमाग में मौजूद खराबी को ठीक करने में भी यह कारगर है।

ऐसे किया निर्माण 

वैज्ञानिक मिंग डोंग ने बताया कि रोबोट में इंसानी निर्माण लगाने के लिए वैज्ञानिकों की एक टीम ने स्टेम कोशिकाओं का इस्तेमाल किया। यह स्टेम कोशिकाओं इंसान के शरीर में मौजूद दिमाग के ऊतकों (टिश्यू) का निर्माण करती हैं। इस स्टेम सेल को लगभग एक महीने तक विकसित किया गया, जब तक कि उनमें न्यूरॉन्स जैसी विशेषताएं नहीं बन गईं। इसके बाद एक कंप्यूटर चिप से इस स्टेम सेल को जोड़ा गया, जो रोबोट के शरीर को निर्देश भेजने में सक्षम था। वैज्ञानिकों ने बताया कि यह रोबोट कोशिका और कंप्यूटर चिप्स का मिश्रण रहा, जो इंसानी दिमाग की तरह काम करने में आगे रहा। वैज्ञानिकों ने बताया कि यह ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस (बीसीआई) का इस्तैमाल करके मशीन बनाई गई, जो दिमाग से निकलने वाले बिजली संकेतों को कंप्यूटर चिप्स के साथ जोड़ती है। इसे इंटरफेस प्रणाली कहा जाता है।

पहले भी हुआ इंटरफेस का इस्तेमाल 

इससे पहले भी इंटरफेस प्रणाली का इस्तेमाल हो चुका है। इसके प्रयोग एलन मस्क की न्यूरालिंक चिप बनाने के लिए हुआ था। इसे अक्षम इंसान के दिमाग में प्रत्यारोपित किया गया था, जिससे दिमाग से कंप्यूटर को नियंत्रित कर सकता है।

इस तरह से करता है काम यह रोबोट

बीसीआई मशीन से मिलने वाली बिजली संकेत सेंसर और एआई के जरिये रोबोट के दिमाग से जुड़ते हैं और वह प्रतिक्रिया देना शुरू करता है। दिमाग तेजी से सीखने के कारण आसपास के माहौल को समझता है। इस रोबोट की देखने की क्षमता नहीं है, लेकिन स्पर्श और बिजली के संकेतों को महसूस कर सकता है। इसके जरिये अपना रास्ता बनाता है, चीजों का पकड़ता है और काम करता है।

सीखने और समझने की क्षमता अधिक

वैज्ञानिकों ने बताया कि ये नई खोज जीव विज्ञान और तकनीक का मिलाप नहीं है, बल्कि कंप्यूटर की समझदारी में बड़ी तरक्की है। आम तौर पर इस्तेमाल होने वाली एआई चीजों को सीखने में दिमाग की कोशिकाओं जितनी तेज नहीं होती है। यह सिर्फ पहले से डाले गए डाटा और निर्देशों पर ही काम करती है, लेकिन ये नया ब्रेन-ऑन-चिप कंप्यूटर बहुत कम बिजली इस्तेमाल करके सीखने में सक्षम है।

एक तरफ चीन के वैज्ञानिक इसे बड़ी उपलब्धि मान रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ एआई रोबोट में इंसानों के दिमाग को जोड़ना वैज्ञानिक खतरनाक मान रहे हैं। उनका कहना है कि दुनिया में एआई के आने से पहले ही चिंता की स्थिति बनी हुई है, वहीं इस तरह के प्रयोग से रोबोट इंसानों के लिए मुसीबत बन सकते हैं। वैज्ञानिकों ने माना कि ऐसे रोबोट काम में दखल कर सकते हैं और इंसानों के काम को प्रभावित कर सकते हैं।

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