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भागलपुर : जीवन जागृति सोसाइटी द्वारा ट्रैफिक पुलिस को दी गई सीपीआर की ट्रेंनिंग

ByKumar Aditya

जुलाई 1, 2024
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भागलपुर : इंटीग्रेटेड पुलिस कमांड एंड कंट्रोल भवन में भागलपुर के ट्रैफिक पुलिस के जवान और अधिकारियों को सीपीआर ट्रेनिंग हेतु वर्कशॉप का आयोजन किया गया इस वर्कशॉप का आयोजन ट्रैफिक डीएसपी आशीष कुमार सिंह के मदद से किया गया ।इसका विधिवत उद्घाटन डी एस पी ट्रैफिक आशीष कुमार सिंह एवं जीवन जागृति सोसायटी के अध्यक्ष डॉ अजय कुमार सिंह ने सम्मिलित रूप से दीप जलाकर वर्कशॉप का शुरूआत किया।

डॉक्टर सिंह ने सीपीआर यानी कार्डियो पलमोनरी रिससीटेशन के बारे में विस्तार से बताया ।इस क्रम में उन्होंने बताया बताया कि जिस तरह से महात्मा गांधी के बारे में कहा जाता है की ले ली तूने आजादी बिना खड़ग बिना ढाल ,ठीक उसी तरह से सीपीआर है यदि आप इसे सीख जाते हैं तो किसी की जान आप बिना डॉक्टर बने बिना किसी सुई और दवाई के बचा सकते हैं उसे व्यक्ति के लिए जिसकी जान चली ही गई थी

यदि आप उसके सांस को सीपीआर के द्वारा वापस नहीं लाते उसके लिए आप देवता समान होंगे और उनकी दुआ आपको प्रगति और उन्नति देगा हार्ट अटैक या सड़क दुर्घटना या डूबने के उपरांत पानी से बचा कर बाहर लाए हुए व्यक्ति को कभी-कभी देखते हैं कि उसकी सांस या तो बंद हो चुकी होती है या खींच खींच कर जिसे गैस्पिंग सांस कहते हैं वैसा लेता है और यदि पल्स देखा जाए तो वह नहीं मिलता है उसे हिलाई दुलाई कोई रिस्पांस नहीं लेने पर उसे समझा जाए कि यदि इसे सीपीआर दिया जाए तो शायद सांस लौट आएगी धड़कन चालू हो सकता है ऐसे लगभग समाप्त हो चुके जीवन को भी 40 से 60 लोग बच सकते है।

अस्पताल ले जाने लायक बन सकते हैं छाती के सबसे निचले हड्डी के दो उंगली ऊपर छाती के बीच में दोनों हथेलियां को एक दूसरे में फंसा कर एक मिनट में सौ के रफ्तार से दो से तीन इंची तक छाती को दबाया जाता है जिसे चेस्ट कंप्रेशन कहते हैं इस विधि के द्वारा उसके हृदय को मैन्युअल या कृत्रिम रूप से संचालित किया जाता है और रक्त के प्रवाह को ब्रेन एवं अन्य जगहों पर प्रवाहित किया जाता है प्रत्येक 30 चेस्ट कंप्रेशन के बाद नाक बंद कर दो बार मुंह से सांस दिया जाता है यदि किसी कारणवश मुंह से सांस लेना संभव नहीं होता है तो चेस्ट कंप्रेशन से भी हवा बाहर जाता है और छोड़ने के समय हवा अंदर आ जाता है जिससे उसकी ऑक्सीजन मिल जाता है इसको लगातार कुछ मिनट तक किया जाता है जब तक की एंबुलेंस नहीं आ जाए उसे अस्पताल नहीं ले जाए लेकिन इसको करने के लिए थोड़ी प्रशिक्षण थोड़ी उत्सुकता और थोड़ा मानवता जरूरी है ट्रैफिक पुलिस हमारे समाज के रीड के हड्डी हैं जिससे परिवहन व्यवस्था कायम होता है वे वैसे जगह रहते हैं जहां पर दुर्घटना होती है तो फर्स्ट रिस्पांडर के रूप में ट्रैफिक पुलिस जवान रहते हैं अतः उनका सीपीआर सीखना काफी जरूरी है इसीलिए आज यह प्रशिक्षण ट्रैफिक पुलिस के जवान को दिया गया इस पर ट्रैफिक डीएसपी श्री आशीष कुमार सिंह का काफी सहयोग रहा उन्होंने उसका आयोजन किया इसमें सीपीआर मेनीक्योर यानी डमी पर ट्रैफिक पुलिस को सीपीआर कैसे दिया जाता है या बताया गया से लगभग प्रत्येक पुलिस जवान को डमी पर सीपीआर कराया गया ।

ट्रैफिक डी एस पी ने जीवन जागृति सोसायटी को इस नेक कार्य के धन्यवाद दिया और उन्होंने बारी बारी से सभी महिला एवम पुरुष ट्रैफिक पुलिस को प्रशिक्षण करवाया और स्वयं भी इसको सीखा इसके अलावा एन डी आर एफ से ट्रेंड आशीष हरिओम ने दुर्घटना के उपरांत रक्त स्राव को रोकना, हड्डी में स्प्लिंट लगाना गर्दन को लोकल उपलब्ध वस्तुओं से सपोर्ट कॉलर बनाना बताया और साथ ही बांस या लाठी, चादर के मदद से स्ट्रेचर बनाने की विधि बताई जो आपात स्थिति में जान बचाने के लिए काफी सहयोगी है कार्यक्रम में ट्रैफिक डी एस पी पी आशीष कुमार सिंह के अलावा करीब 40 ट्रैफिक पुलिस ने हिस्सा लिया । संस्था के तरफ से सचिव सोमेश यादव, कुमार गौरव मो बाबर मीडिया प्रभारी रजनीश, जितेंद्र कुमार सिंह अखिलेश एवम मृत्युंजय ने मदद किया।


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