बिहार पुलिस अवर सेवा आयोग ने मंगलवार को दारोगा भर्ती परीक्षा का रिजल्ट जारी किया, जिसमें 1275 सफल अभ्यर्थियों में तीन ट्रांसजेंडर भी दारोगा बनी हैं। बिहार पुलिस में पहली बार ट्रांसजेंडर का दारोगा पद पर चयन हुआ है। ये हैं – रोनित झा, बंटी कुमार और मधु। आयोग के मुताबिक रोनित सीतामढ़ी तो मधु बांका के निवासी हैं। बंटी कुमार अभी बिहार में रह रहे हैं लेकिन वे दूसरे राज्य के रहने वाले हैं। इन तीनों के सपनों ने समाज की रूढ़िवादी सोच के आगे दम नहीं तोड़ा।
ट्रांसजेंडर समुदाय की पहचान अबतक जन्म, शादी-विवाह या गृहप्रवेश जैसे शुभ अवसरों पर दुआएं देने और गीत-गानों के जरिये मनोरंजन करने वाले के रूप में रहा है। लेकिन, दारोगा के रूप में रोनित झा, बंटी कुमार और मधु लोगों को सुरक्षा देंगी। इसके पहले गुड़िया कुमारी का चयन मद्य निषेध विभाग में हुआ था, जो राज्य सचिवालय में तैनात हैं। बिहार तकनीकी सेवा आयोग से बहाल एक ट्रांसजेंडर अभी राज्य परियोजना पदाधिकारी के पद पर कार्यरत हैं।
दारोगा के रूप में चयनित मधु कहती हैं कि मैँने कभी भी संसाधन की कमी का रोना नहीं रोया। मैं मानती हूं कि ट्रांसजेंडर समुदाय से ताल्लुक रखती हूं। लेकिन अगर कोई मार्गदर्शक मिल जाए तो हम भी समाज की सेवा कर सकते हैं।समाज के मुख्यधारा में रहकर अपनी अलग मुकाम बना सकते हैं।
कानूनी लड़ाई के बाद मिली सफलता
बिहार में सरकारी सेवा में आने के लिए ट्रांसजेंडरों ने लंबा संघर्ष किया है। इन्होंने पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। वीरा यादव बनाम बिहार सरकार के इस केस में हाईकोर्ट ने बिहार सरकार को स्थिति स्पष्ट करने को कहा। तब बिहार सरकार ने ट्रांसजेंडरों के प्रति उदारता दिखाते हुए कोर्ट को बताया कि वह 500 में से एक पद ट्रांसजेंडर के लिए आरक्षित करेगा। उसी के आधार पर केस का फैसला 2021 में हुआ। इस फैसले के बाद मद्यनिषेध विभाग में 700 से अधिक पदों पर बहाली निकली। तब ट्रांसजेंडर के लिए एक पद आरक्षित करते हुए विज्ञापन निकाला गया। उस समय गुड़िया कुमारी का चयन ट्रांसजेंडर के तौर पर हुआ। अभी ये सचिवालय में काम कर रही हैं।
ट्रांसजेंडर के लिए पांच पद आरक्षित
इसी नीति के तहत जब दारोगा पद के लिए विज्ञापन निकला तो ट्रांसजेंडरों के लिए पांच पद आरक्षित किये गये। हालांकि लिखित परीक्षा के साथ ही दारोगा के अन्य मापदंडों पर सिर्फ तीन ट्रांसजेंडर ही खरा उतर सके। विज्ञापन निकले पदों में से दो पद खाली रह गए। हालांकि भविष्य में जब भी बहाली निकलेगी तो इन पदों को बैकलॉग के तौर पर जोड़कर ही बहाली निकाली जाएगी। ऐसे में ट्रांसजेंडरों के लिए अभी और मौके मिलेंगे जब वे अपनी योग्यता के अनुसार सरकारी सेवा में आ सकते हैं।
हम भी अलग मुकाम बना सकते हैं मधु
दारोगा के रूप में चयनित मधु कहती हैं कि मैँने कभी भी संसाधन की कमी का रोना नहीं रोया। मैं मानती हूं कि ट्रांसजेंडर समुदाय से ताल्लुक रखती हूं। लेकिन अगर कोई मार्गदर्शक मिल जाए तो हम भी समाज की सेवा कर सकते हैं। समाज के मुख्यधारा में रहकर अपनी अलग मुकाम बना सकते हैं।